गुरु की खोज

गुरु की खोज जितनी सरल और सहज हम समझते है। शायद उतनी आसान नहीं है। गुरु की खोज एक प्रतीक्षा है। और गुरु तुम्‍हें दिखाया नहीं जा सकता। कोई नहीं कह सकता,’’यहां जाओ और तुम्‍हें तुम्‍हारा सद्गुरू मिल जायेगा। तुम्‍हें खोजना होगा, तुम्‍हें कष्‍ट झेलना होगा, क्‍योंकि कष्‍ट झेलने और खोजने के द्वारा ही तुम उसे देखने के योग्‍य हो जाओगे। तुम्‍हारी आंखे स्‍वच्‍छ हो जायेगी। आंसू गायब हो जायेगे। तुम्‍हारी आंखों के आगे आये बादल छंट जायेंगे और बोध होगा कि यह सद्गुरू है।
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About the Author: This post is written by Abhijit


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