श्री राघवेन्द्र स्तोत्रम्




श्रीपूर्णबोध-गुरु-तीर्थ-पयोऽब्धि-पारा
कामारि-माऽक्ष-विषमाक्ष-शिरः स्पृशन्ती ।
पूर्वोत्तरामित-तरङ्ग-चरत्-सु-हंसा
देवालि-सेवित-पराङ्घ्रि-पयोज-लग्ना ॥ १ ॥


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