गुरूदेव


तुझ से मिलने के लिये मेरे गुरूदेव,
तेरे दर पे आना ज़रूरी तो नहीं,
तूँ जानता है सब के दिल की मेरे नाथ,
लफज़ों में तुझे बताना जरूरी तो नहीं !!
हिल नहीं सकता एक पत्ता भी तेरी
रज़ा के बगैर मेरे गुरूदेव,
अपने बंदो को मगर यह अहसास
दिलाना जरूरी तो नहीं !!
माना कि तेरे चाहने वाले बहुत
है इस दुनिया में मेरे नाथ,
मगर हम को इस कदर आज़माना
तेरी मजबूरी तो नहीं!!
तूँ तो पास है मेरे गुरूदेव
बहुत पास है मेरे,
मगर तुझ को मैं छूँ ना पाऊँ
ऐसी भी दूरी तो नहीं!!
खुद ही आके मिल जा मेरे नाथ
मुझे पास नहीं बुलाना है अगर,
ये तेरी मज़बूरी है मेरे गुरूनाथ
मेरी कोई मज़बूरी तो नही!!!
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About the Author: This post is written by Abhijit


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