गुरु और ईश्वर का बहुत गहरा सम्बन्ध है




वेदों में गुरु को ईश्वर से अधिक पुजनिये माना है,गुरु की महिमा अपार है वो सदेव अपने शिष्य के लिए चिंतित रहता है,उसे सर्व गुण सम्पन बनने का पर्यातन करता है, ईश्वर की प्राप्ति भी गुरु द्वारा सम्भव हो सकती है,हमारे महान कवि कबीर जी ने भी अपने दोहे द्वारा यह इस्पषत किया है
गुरु गोबिंद दोउ खड़े, काके के लागु पाये
बलिहारे गुरु आपनो, गोविन्द दियो मिलाये
इसलिए गुरु को अधिक पुजनिये समझा गया है जो हमे दिशा हिन् होने से बचाता रहता है ,
परन्तु गुरु से भी बढकर जो है वो सदगुरु है
गुरु और सदगुरु में बहुत अन्तर है
गुरु को हमेशा अपने शिष्य से कोई न कोई अपेक्षा रहती है,वो कभी भी समय आने पर अपने दिए हुए ज्ञान की गुरु दक्षना मांग लेते है परन्तु सदगुरु वो होता जो सदेव देता है कभी दक्षना की लालसा नही रखता
गुरु तो बहुत से मिल जाते है परन्तु सदगुरु तो एक ही है वो है साई बाबा
जिन्होंने कभी अपने शिष्यो से कुछ नही माँगा सिर्फ़ दिया ही है, ऐसे सदगुरु के चरणों में हमारा सत सत नमन
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About the Author: This post is written by Abhijit


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